कहानी संग्रह >> अगला यथार्थ अगला यथार्थहिमांशु जोशी
|
8 पाठकों को प्रिय 61 पाठक हैं |
हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...
आयतें
आने के बाद घर-बाहर के अधूरे काम कैसे पूरे होंगे? कौन करेगा? सारा तनाव। उस पर हवाई अड्डे की अनेक औपचारिकताएं। थोड़ा-सा चूके नहीं कि...
इस 'चूकने' की बात पर पिछली घटना याद आते ही अब रोंगटे खड़े हो जाते हैं। बर्मिंघम से लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे आते समय रात्रि बस की यात्रा में टिकट, पासपोर्ट सेब खो दिए थे। सारे पैसे-पाई, एक धेला भी अपने पास नहीं बचा था। तब सहसा ऐसा लगा था, जैसे किसी ने प्राण खींच लिए हों। आंखों के आगे अंधेरा छा गया। मुंह से एक शब्द भी फूट पाना कठिन हो गया था, मैं अवाक-सा रह गया था, जड़वत !
जब पास में कुछ रहा ही नहीं, तो फिर भारत लौटना कैसे संभव होगा? बिना टिकट, बिना पासपोर्ट, नाम-पतों की डायरी भी उसी में चली गई थी। फिर हीथ्रो से भारतीय उच्चायोग से संपर्क भी कैसे संभव हो पाएगा? उस ठंडे मौसम में भी पसीने का एहसास हो रहा था। मेरी आंखों के आगे घटाटोप अंधियारा सिमट आया था।
जिन अफ्रीकी मूल के लोगों पर संदेह था, वे कब के दूसरी बस बदलकर कहीं निकल चुके थे। भीड़ की शक्ल में वे ही मेरे साथ-साथ उस दो मंजिली बस पर चढ़े थे। मेरे दोनों हाथों में भारी-भरकम सामान था। वह छोटा-सा चमड़े का चॉकलेटी बैग मेरे कंधे पर यों ही लटक रहा था, जो देखते-देखते गायब हो गया था।
इतने बड़े हादसे को भी लोग साधारण रूप से ले रहे थे। इस तरह की घटनाएं यहां आम हो गई हैं। अफ्रीकी-एशियाई मूल के लोगों पर सारा दोष मढ़कर वे चुप हो गए थे। रात का वक्त था। लोगों की नींद में ख़लल पड़ रहा था। चुप हो जाने के अलावा मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था। उस दिन के बाद अब जब कभी बाहर निकलता हूं, चौकन्ना हो जाता हूं...
हां, अब दो बज रहे हैं रात के। पिछली सीटों पर अभी तक वैसा ही शोर है। नारी-कंठ के चीखने का स्वर अब और अधिक ऊंचा हो गया है, और अधिक करुण।
किसी भी तरह सो पाना संभव नहीं लगता। तभी देखता हूं, पानी का गिलास लिए एयर होस्टेस भागती हुई पास से गुजर रही है। उससे कुछ पूछे, इससे पहले ही वह ओझल हो जाती है। उसके दूसरे हाथ में आइसबॉक्स-सा कुछ है।
'टॉयलेट' जाने के निमित्त सीट से उठता हूं। सीटों के बीच से बच-बचकर निकलता हुआ आगे बढ़ता हूं, तो सामने जो दृश्य देखता हूं, भौचक्का-सा रह जाता हूं।
|
- कथा से कथा-यात्रा तक
- आयतें
- इस यात्रा में
- एक बार फिर
- सजा
- अगला यथार्थ
- अक्षांश
- आश्रय
- जो घटित हुआ
- पाषाण-गाथा
- इस बार बर्फ गिरा तो
- जलते हुए डैने
- एक सार्थक सच
- कुत्ता
- हत्यारे
- तपस्या
- स्मृतियाँ
- कांछा
- सागर तट के शहर